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सहारनपुर, 22 फरवरी 2025: जिला कारागार सहारनपुर में महाकुंभ के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बंदियों ने प्रयागराज त्रिवेणी संगम से लाए गए पवित्र जल से स्नान किया।

सहारनपुर ब्रेकिंग: महाकुंभ के अवसर पर जिला कारागार में विशेष धार्मिक आयोजन

सहारनपुर ब्रेकिंग: महाकुंभ के अवसर पर जिला कारागार में विशेष धार्मिक आयोजन

📍 सहारनपुर, 22 फरवरी 2025: जिला कारागार सहारनपुर में महाकुंभ के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बंदियों ने प्रयागराज त्रिवेणी संगम से लाए गए पवित्र जल से स्नान किया। शासन के कारागार मुख्यालय के आदेश पर यह आयोजन किया गया, जिससे बंदियों को न केवल धार्मिक उन्नति का अवसर मिला, बल्कि उनके आचार-व्यवहार को सुधारने की प्रेरणा भी मिली।

कार्यक्रम में क्या हुआ?

महाकुंभ स्नान के इस विशेष कार्यक्रम में सभी बंदियों को भाग लेने का अवसर मिला। पवित्र जल से स्नान करने के बाद, उन्हें महाकुंभ के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। आयोजन में मुस्लिम बंदियों और महिला बंदियों ने भी श्रद्धा के साथ इस अवसर का लाभ उठाया और पवित्र जल में स्नान किया।

आध्यात्मिक और धार्मिक शिक्षा:

कार्यक्रम के दौरान, कारागार के अधिकारी ने बंदियों को बताया कि महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह आत्म-निर्माण और आत्म-सुधार का भी प्रतीक है। बंदियों को यह समझाया गया कि यह अवसर उन्हें अपने जीवन में सुधार लाने और बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है।

बंदियों की प्रतिक्रियाएं:

इस आयोजन ने कई बंदियों को गहरे आत्म-चिंतन के लिए प्रेरित किया। बंदियों ने इसे प्रेरणादायक और सकारात्मक अनुभव बताया और कहा कि उन्हें इससे जीवन में सुधार की दिशा दिखी है। कई बंदियों ने यह भी कहा कि वे भविष्य में अपने आचरण में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस आयोजन ने उन्हें यह अहसास दिलाया कि वे भी समाज में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं, बशर्ते वे अपने जीवन को सही दिशा में चलाएं।

समाज में सुधार की ओर कदम:

इस आयोजन से यह भी स्पष्ट हुआ कि जेलों में केवल सजा नहीं, बल्कि सुधार की प्रक्रिया भी महत्वपूर्ण है। महाकुंभ स्नान जैसा धार्मिक आयोजन, बंदियों को सुधार की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है और उनके भीतर की धार्मिक चेतना को जागृत करता है।

सहारनपुर जिला कारागार के अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के कार्यक्रम बंदियों के मानसिक और आत्मिक सुधार में मददगार साबित हो सकते हैं, जिससे वे समाज में पुनः लौटकर बेहतर जीवन जी सकें।

कार्यक्रम का उद्देश्य:

यह आयोजन न केवल बंदियों की धार्मिक जागरूकता बढ़ाने के लिए था, बल्कि यह उन्हें अपने आचार-विचार में सुधार करने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने का एक माध्यम भी था। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाएंगे, ताकि बंदियों में सुधार के साथ-साथ उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आए।

📞 रिपोर्ट: एलिक सिंह (संपादक)
📞 संपर्क: 8217554083
📞 जिला प्रभारी (BJAC) भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद्

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